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कर्मों का हिसाब किताब

Dated-11 Oct 2023 

एक स्त्री थी जिसे 20 साल तक संतान नहीं हुई, फिर कर्म संजोग से 20 वर्ष के बाद उसे पुत्र संतान की प्राप्ति हुई। किन्तु दुर्भाग्य वश 20 दिन में ही वह संतान मृत्यु को प्राप्त हो गयी।

वह स्त्री हद से ज्यादा रोई और उस मृत बच्चे का शव ले कर एक सिद्ध महात्मा जी के पास पहुँच गई। वह महात्मा जी से रो रो कर कहने लगी, मुझे मेरा बच्चा एक बार जीवित कर के दीजिये।

मात्र एक बार मैं उस के मुख से

"माँ"

शब्द सुनना चाहती हूँ। स्त्री के बहुत जिद करने पर महात्मा जी ने 2 मिनट के लिए उस बच्चे की आत्मा को बापिस बुलाया। तब उस स्त्री ने उस आत्मा से कहा तुम मुझे क्यों छोड़ कर चले गए मेरे बच्चे? मैं तुम से सिर्फ एक बार 'माँ' शब्द सुनना चाहती हूँ। तभी उस आत्मा ने कहा कौन माँ? कैसी माँ !

मैं तो तुम से कर्मों का हिसाब किताब करने आया था। स्त्री ने पूछा कैसा हिसाब! आत्मा ने बताया पिछले जन्म में तुम मेरी सौतन थी, और मेरी आँखों के सामने तू मेरे पति को ले गई। मैं बहुत रोई तुम से अपना पति मांगा। पर तुम ने मेरी एक नही सुनी, तब मैं रो रही थी और आज तुम रो रही हो।

बस मेरा तुम्हारे साथ जो कर्मों का हिसाब था, वह मैंने पूरा किया और मर गया। इतना कह कर वह आत्मा वापिस चली गयी।

उस स्त्री को यह सब देख और सुन कर ऐसा झटका लगा कि उसकी आंखें खुल गई। फिर उसे महात्मा जी ने समझाया कि देखो मैने कहा था कि यह सब रिश्तेदार माँ, पिता, भाई-बहन सब कर्मों के कारण जुड़े हुए हैं। उस औरत ने महात्मा जी से कहा, जी महात्मा जी! आप सच बोल रहे थे, अब मेरी आंखें खुल चुकी है।

हम सब यहां पर कर्मो का हिसाब किताब करने आये हैं। इस लिए सदा अच्छे कर्म करो, ताकि हमे बाद में यह सब भुगतना ना पड़े। वो स्त्री समझ गयी और अपने घर लौट गयी ।

इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए हमारा यह शरीर एक किराये का घर है।

जैसे कि जब हम "किराए का मकान" लेते है तो "मकान मालिक" कुछ शर्तें रखता है! मकान का किराया समय पर देना। मकान में गंदगी नही फैलाना, उसे साफ सुथरा रखना। मकान मालिक का कहना मानना,और मकान मालिक जब चाहे मकान को खाली करवा सकता है!!

इसी प्रकार परमात्मा ने भी जो हमें यह शरीर दिया है, यह भी एक किराए का मकान ही है। हमें परमात्मा ने जब यह शरीर दिया है, तो यह सारी शर्ते हमारे लिये भी लागू होती है।

( 1 )किराया है। (भजन -सिमरन)
( 2 ) गन्दगी (बुरे विचार और बुरी भावनाये) नही फैलानी।
( 3 )--:-- जब मर्जी होगी परमात्मा अपनी आत्मा को वापिस बुला लेगा!!

मतलब यह है, कि यह जीवन हमे बहुत थोड़े समय के लिए मिला है। इसे लड़ाई -झगड़े कर के या मन में द्वेष भावना रख कर नही। बल्कि प्रभु जी के नाम का सिमरन करते हुए बिताना चाहिए और हर समय उस सच्चे मालिक के आगे विनती करनी है कि हे मेरे प्रभु जी! इतनी कृपा करना कि आप की आज्ञा में रहे और भजन -सुमिरन करते रहे!! "ये जन्म मनुष्य शरीर जो हमे मिला है।